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वादों का जंजाल

हमारा नजरिया
हमारा नजरिया
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इंसानों की इस दुनिया में ,हैवान नज़र आ जाता है
क्यों ? हर जगह अब हमको एक वाद नज़र आ जाता है ।

धरती माँ की कोख से जन्म लेकर मिला था धर्म इंसानियत ,
एक – दूजे पर मरना है बस अब ये है मात्र  कहावत
अब  इंसानियत जैसे धर्मो में भी…..
“धर्मवाद “ नजर आ जाता है ।
क्यों ? हर जगह अब हमको एक वाद नज़र आ जाता है ।
जानी थी नस्ले अभी तक ,पशुओ में ही होती है
रंग – रूप की  कहानिया आज भी हकीकत होती है ।
अब हर व्यक्ति के मन में …..
“नस्लवाद ” नजर आ जाता है ।
क्यों ? हर जगह अब हमको एक वाद नज़र आ जाता है ।
भाषा के सारे बंधन तोड़ , दिल की बोली ही दिखती थी
हिंदी , उर्दू  और सभी मिठास दिलो में घोलती थी ।
अब इन्ही बोलो में हमे…….
“भाषावाद”  नजर आ जाता है ।
क्यों ? हर जगह अब हमको एक वाद नज़र आ जाता है ।
इश्वेर के मन में न कोई छोटा न बड़ा है ,
पर आज मनुष्यों ने इस कथन को असत्य करके छोड़ा है ।
अब अक्सर इस समाज में ……
“जातिवाद “ नजर आ जाता है ।
क्यों ? हर जगह अब हमको एक वाद नज़र आ जाता है ।
जूझ रहा है युवा आज का इस प्रतियोगिता के दौर से ,
नौकरिया मिलती है सिर्फ रिश्तेदारों को अधिकारियो के ओर से ।
अब योग्य व्यक्ति के दफ्तर में …..
“भाई – भतीजावाद ” नजर आ जाता है ।
क्यों ? हर जगह अब हमको एक वाद नज़र आ जाता है ।
“हिंदी है हम वतन है हिंदुस्तान है हमारा “
कहते है कुछ लोग अब महाराष्ट्र और तेलंगाना है हमारा ।
अब गाँधी , नहरू जी की मात्रभूमि पर …………
क्षेत्रवाद “ नजर आ जाता है ।
क्यों ? हर जगह अब हमको एक वाद नज़र आ जाता है ।
इन वादों के जंजाल में न दीखता साम्यवाद है ….
तो आओ हम सब  मिलकर ……
वादों के इस चंगुल से मानवता को छुडाये,
मानवतावाद के दीपक से हम  अपना भारत महान बनाये ।

“जय हिंद जय भारत ”

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