हमारा नजरिया
- 18 Posts
- 141 Comments
इंसानों की इस भीड़ में
अब हम खोना नहीं चाहते ..
दबाव की चादर तले
अब हम ढकना नहीं चाहते …
हम बेटी , पत्नी, माँ का रूप है
भोग की वास्तु
अब हम बनना नहीं चाहते …
हमे जिन्दगी के हर एक
लम्हे को जीना है ,
घर की इन चार-दीवारियो में
अब हम घुट-घुट के जीना नहीं चाहते……
जीवन के हर एक मुकाम में हम आगे पहुचे है
और आगे भी पहुचते रहेंगे …
हालातो के आगे अब हम
झुकना नहीं चाहते ……
हमे पढना है ,कुछ करना है ,
जीवन के हर रंगो में रंगना है ,
इस दुनिया के आसमान में
जी भर के उड़ना है …
कमियाबियो की बुलंदियों
पर चढ़ना है ……
क्योकि अब हम इन
जुल्मी परिस्थितयो के हाथो
मरना नहीं चाहते …….
बड़ी मुश्किलो से निकले है इस भंवर से
अब बस हम
निखरना और निखरना
चाहते हैं ।
Read Comments